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पौंटा साहिब
पौंटा साहिब सिक्खों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। सिक्खों का यह पवित्र धार्मिक स्थल हिमाचल प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। यह स्थान साल वृक्ष के हरे भरे जंगलों से घिरा, 350 मीटर चौड़ा क्षेत्र है। यहाँ गुरुद्वारे में श्रीदस्तर स्थान मौजूद है, जिसके विषय में यह माना जाता कि यहाँ गुरु गोविन्द सिंह पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताओं में न्याय करते थे।
पौंटा साहिब सिक्खों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। सिक्खों का यह पवित्र धार्मिक स्थल हिमाचल प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। यह स्थान साल वृक्ष के हरे भरे जंगलों से घिरा, 350 मीटर चौड़ा क्षेत्र है। यहाँ गुरुद्वारे में श्रीदस्तर स्थान मौजूद है, जिसके विषय में यह माना जाता कि यहाँ गुरु गोविन्द सिंह पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताओं में न्याय करते थे।
'पौंटा' का अर्थ होता है- 'पैर जमाने की जगह'। भारत की प्रमुख नदियों में से एक यमुना नदी के तट पर स्थित पौंटा बड़ी संख्या में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। इस ऐतिहासिक शहर की स्थापना सिक्खों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह द्वारा की गई थी। गुरु गोविन्द सिंह सिरमौर के राजा मैदिनी प्रकाश के निमंत्रण पर यहाँ चार साल से अधिक समय तक रहे थे। कहा जाता है कि जब वे मात्र 16 साल के थे, तब यहाँ रहने के लिए आ गये थे।
कथा
पौंटा
साहिब सिक्खों के पूजा स्थल की विरासत के रूप में अच्छी तरह से जाना जाता है। यह माना जाता है कि
इसी जगह पर सिक्खों के 10वें गुरु, गुरु
गोविन्द सिंह ने सिक्ख धर्म के शास्त्र दसम् ग्रंथ या 'दसवें सम्राट की पुस्तक'
का एक बड़ा हिस्सा लिखा था। स्थानीय लोगों का कहना है कि गुरु
गोविन्द सिंह चार साल यहाँ रुके थे। एक पौराणिक कथा के अनुसार, गुरु ने पौंटा साहिब में रहने का फैसला किया था, क्योंकि
वे जिस घोड़े की सवारी कर रहे थे, वह अपने आप यहाँ पर रूक
गया था। लोक कथाओं के अनुसार यहाँ पर शोर के साथ बहती यमुना नदी गुरु के अनुरोध पर शांति से बही, जिससे वे पास बैठकर
दसम् ग्रंथ लिख सके। तब से नदी शांति से इस क्षेत्र में बहती है। गुरुद्वारा के
अंदर 'श्रीतालाब' नामक स्थान वह जगह है,
जहाँ से गुरु गोविन्द सिंह वेतन वितरित करते थे। इसके अतिरिक्त
गुरुद्वारे में 'श्रीदस्तर' स्थान
मौजूद है, जिसके बारे में यह माना जाता कि यहाँ गुरु जी
पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताओं में न्याय करते थे। गुरुद्वारे का एक अन्य आकर्षण
एक संग्रहालय है, जो गुरु गोविन्द सिंह के उपयोग की कलम और अपने समय के हथियारों को दर्शाती है।[1]
पर्यटन
स्थल
साल वृक्ष के हरे भरे जंगलों से घिरा पौंटा साहिब एक 350 मीटर
में विस्तृत एक चौड़ा क्षेत्र है। पौंटा साहिब में पर्यटन स्थल के रूप में कई
आकर्षण हैं, उनमें से अस्सान झील और सहस्त्रधारा लोकप्रिय
हैं। पौंटा साहिब की यात्रा पर आये यात्रियों को सुंदर अस्सान
झील का दौरा अवश्य ही करना चाहिए, जिसे हिमाचल प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा एक पर्यटक केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है।
आगंतुकों के लिये गति नौका विहार, नौकायन, तैरने और पाल नौका विहार की तरह मनोरंजक गतिविधियों में लिप्त होने के
विकल्प हैं। सहस्त्रधारा यमुना नदी और टोंग नदी, जिसे तमसा के रूप में भी जाना जाता है, का संगम स्थल है। पौंटा
साहिब सिक्ख धर्म के तीर्थ केंद्रों के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है, जिनमें से प्रमुख हैं-
1.
गुरुद्वारा पौंटा साहिब
2.
गुरुद्वारा टीरगढ़ साहिब
3.
गुरुद्वारा भानगनी साहिब
4.
गुरुद्वारा शेरगढ़ साहिब
5.
देई का मंदिर
6.
खोदरा डाक पत्थर
7.
नागनौना मंदिर
8.
राम मंदिर
9.
कटासन देवी मंदिर
10. यमुना मंदिर
11. शिव मंदिर
12. बाबा गरीब नाथ
यातायात
पौंटा
साहिब की यात्रा के लिए पर्यटक आसानी से वायुमार्ग, रेलवे या रोडवेज के माध्यम से पहुँच सकते हैं। ग्रीष्म, शरद, और वसंत इस जगह की यात्रा के लिये सबसे अच्छे
मौसम हैं।
http://bharatdiscovery.org/india/पौंटा साहिब
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